प्रक्षेप्य गति में ${m_1}$ व ${m_2}$ द्रव्यमानों के कणों के वेग समय $t = 0$ पर क्रमश: $\overrightarrow {{v_1}} $व $x > {x_1}$ हैं। ये समय ${t_0}$पर टकराते हैं। उनके वेग समय $2{t_0}$पर $\overrightarrow {{v_1}} '$ व $\overrightarrow {{v_2}} '$ हो जाते हैं, जबकि अभी भी वे हवा में गतिमान हैं। तो $|({m_1}\overrightarrow {{v_1}} '\, + {m_2}\overrightarrow {{v_2}} ') - ({m_1}\overrightarrow {{v_1}} \, + {m_2}\overrightarrow {{v_2}} )|$ का मान है
शून्य
$({m_1} + {m_2})g{t_0}$
$2({m_1} + {m_2})g{t_0}$
$\frac{1}{2}({m_1} + {m_2})g{t_0}$
प्रक्षेप्य गति में ${m_1}$ व ${m_2}$ द्रव्यमानों के कणों के वेग समय $t = 0$ पर क्रमश: $\overrightarrow {{v_1}} $व $x > {x_1}$ हैं। ये समय ${t_0}$पर टकराते हैं। उनके वेग समय $2{t_0}$पर $\overrightarrow {{v_1}} '$ व $\overrightarrow {{v_2}} '$ हो जाते हैं, जबकि अभी भी वे हवा में गतिमान हैं। तो $|({m_1}\overrightarrow {{v_1}} '\, + {m_2}\overrightarrow {{v_2}} ') - ({m_1}\overrightarrow {{v_1}} \, + {m_2}\overrightarrow {{v_2}} )|$ का मान है
$t = 0$ पर दो कणों के निकाय का संवेग पर
${\overrightarrow {\;P} _i} = {m_1}{\overrightarrow {\;v} _1} + {m_2}{\overrightarrow {\;v} _2}$
दोनों कणों के बीच संघट्ट होने से निकाय का मूल संवेग अप्रभावित रहता है।
निकाय पर एक नियत बाह्य बल $({m_1} + {m_2})g$ कार्य करता है।
इस बल के कारण समय $ t = 0 $ से $t = 2{t_0}$ के दौरान उत्पन्न आवेग $({m_1} + {m_2})g \times 2{t_0}$होगा।
अत: इस समयांतराल में संवेग में परिवर्तन
$ = \,|{m_1}\overrightarrow {\;v\,} {'_1} + {m_2}\overrightarrow {\;v\,} {'_2} - ({m_1}{\overrightarrow {\;v\,} _1} + {m_2}{\overrightarrow {\;v\,} _2})|\, = 2({m_1} + {m_2})g{t_0}$
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