किसी सरल लोलक की डोरी जब ऊध्र्वाधर से ${45^o}$ का कोण बनाती है तब लोलक के गोलक $A$ को छोड़ दिया जाता है। यह समान पदार्थ व समान द्रव्यमान के अन्य गोलक $B$ जो कि टेबिल पर विराम में है, से टकराता है। यदि संघट्ट प्रत्यास्थ हो, तो
$A$ तथा $B$ दोनों समान ऊँचाई तक ऊपर उठेंगे
$A$ तथा $B$ दोनों, $B$ पर विराम में आ जायेंगे
$A$ तथा $B$ दोनों $A$ के समान वेग से चलेंगे
$A$ विराम में आ जाएगा तथा $B$,$ A$ के वेग से चलेगा
किसी सरल लोलक की डोरी जब ऊध्र्वाधर से ${45^o}$ का कोण बनाती है तब लोलक के गोलक $A$ को छोड़ दिया जाता है। यह समान पदार्थ व समान द्रव्यमान के अन्य गोलक $B$ जो कि टेबिल पर विराम में है, से टकराता है। यदि संघट्ट प्रत्यास्थ हो, तो
$A$ तथा $B$ के समान द्रव्यमान तथा उनके बीच प्रत्यास्थ संघट्ट के कारण गोले के वेग संघट्ट पश्चात् परस्पर परिवर्तित हो जाते हैंं।