किसी लकड़ी के गुटके को एक नत समतल पर खींचना, उसे ऊध्र्वाधर ऊपर की ओर खींचने से आसान होता है, क्योंकि
घर्षण कम हो जाता है
द्रव्यमान कम हो जाता है
भार के थोड़े भाग को खींचना होता है
$‘g’$ कम हो जाता है
किसी लकड़ी के गुटके को एक नत समतल पर खींचना, उसे ऊध्र्वाधर ऊपर की ओर खींचने से आसान होता है, क्योंकि
ऊध्र्वाधरत: खींचने में लगने वाला प्रतिरोधी बल $= mg$
परन्तु नत तल पर कार्यरत प्रतिरोधी बल $mg\, sin \theta $ होता है, जो कि $mg$ से कम है।