$xy$ तल में गतिशील कण पर बल $\overrightarrow F = \, - \,K(y\hat i + x\hat j)$ (यहाँ $K $ एक धनात्मक नियतांक है) कार्य करता है। मूल बिन्दु से प्रारम्भ करके $x-$ अक्ष के अनुदिश $(a, 0)$ बिन्दु तक तत्पश्चात $y-$ अक्ष के समान्तर बिन्दु $(a, a)$ तक कण को विस्थापित करने में बल $F$ द्वारा किया गया कुल कार्य होगा
$ - 2K{a^2}$
$2K{a^2}$
$ - K{a^2}$
$K{a^2}$
$xy$ तल में गतिशील कण पर बल $\overrightarrow F = \, - \,K(y\hat i + x\hat j)$ (यहाँ $K $ एक धनात्मक नियतांक है) कार्य करता है। मूल बिन्दु से प्रारम्भ करके $x-$ अक्ष के अनुदिश $(a, 0)$ बिन्दु तक तत्पश्चात $y-$ अक्ष के समान्तर बिन्दु $(a, a)$ तक कण को विस्थापित करने में बल $F$ द्वारा किया गया कुल कार्य होगा
बिंदु $(0,0)$ से $(a,0)$ तक गति करने पर $x-$अक्ष की धनात्मक दिशा के अनुदिश, $y = 0$ $ \Rightarrow \;\overrightarrow F = - kx\hat j$
अर्थात् बल $ y-$ की ऋणात्मक दिशा में है जबकि विस्थापन धनात्मक $x$ दिशा में होता है अत: ${W_1} = 0$ क्योंकि बल विस्थापन के अभिलंबवत् है।
अत: जब कण $y-$अक्ष के समांतर $(x = + a)$ रेखा के अनुदिश $(a,0)$ से $(a,a)$ बिन्दु तक गति करता है, तो इस दौरान कार्यरत् बल $\overrightarrow {\;F} = - k(y\hat i + a\hat j)$
इस बल का प्रथम घटक $ - ky\hat i$ कोई कार्य नहीं करेगा क्योंकि यह घटक $ x$ की ऋणात्मक दिशा के अनुदिश है जबकि विस्थापन धनात्मक $y-$दिशा में $(a,0)$ से $(a,a)$ तक होता है। बल का द्वितीय घटक अर्थात् $ - ka\hat j$ द्वारा ऋणात्मक कार्य किया जाता है।
${W_2} = ( - ka\hat j)\;(a\hat j)$= $( - ka)\;(a)\; = - k{a^2}$
अत: कण पर किया गया कुल कार्य $W = {W_1} + {W_2}$
= $0 + ( - k{a^2}) = - k{a^2}$
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