एक गेंद को पृथ्वी सतह से $d$ ऊँचाई से ऊध्र्वाधरत: छोड़ा जाता है। यह पृथ्वी से टकराकर ऊध्र्वाधरत: $d/2$ ऊँचाई तक उठती है। यदि इसके पश्चात् की गेंद की गति तथा वायु प्रतिरोध की उपेक्षा की जाए तो, गेंद के वेग $v$ तथा पृथ्वी से उसकी ऊँचाई h के मध्य सही ग्राफ होगा
एक गेंद को पृथ्वी सतह से $d$ ऊँचाई से ऊध्र्वाधरत: छोड़ा जाता है। यह पृथ्वी से टकराकर ऊध्र्वाधरत: $d/2$ ऊँचाई तक उठती है। यदि इसके पश्चात् की गेंद की गति तथा वायु प्रतिरोध की उपेक्षा की जाए तो, गेंद के वेग $v$ तथा पृथ्वी से उसकी ऊँचाई h के मध्य सही ग्राफ होगा
दी गयी स्थिति के लिये गेंद की प्रांरभिक ऊँचाई $h = d$ व प्रारंभिक वेग शून्य है। जब गेंद नीचे की ओर गति करती है तब इसका वेग बढ़ता है तथा जमीन से टकराते समय अधिकतम होता है तथा टकराने के तुरंत पश्चात् इसका वेग आधा व दिशा विपरीत हो जाती है। जब गेंद ऊपर की ओर गति करती है तब इसका वेग पुन: घटता है तथा यह ऊँचाई $d/2$ पर शून्य हो जाता है। यह व्याख्या विकल्प $(a)$ में दिये गये ग्राफ को संतुष्ट करती है।
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